3/10/2013

आज महाशिवरात्रि

सोमनाथ मंदिर एक महत्वपूर्ण मंदिर है। इसकी गिनती 12 ज्योतिर्लिंगों में होती है। गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह में स्थित इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था। इसका उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है। इसे अब तक 17 बार नष्ट किया गया है और हर बार इसका पुनर्निर्माण किया गया। सोमनाथ मंदिर विश्व प्रसिद्ध धार्मिक व पर्यटन स्थल है। लोककथाओं के अनुसार यहीं श्रीकृष्ण ने देहत्याग किया था। इस कारण इस क्षेत्र का और भी महत्व बढ गया। ऐसी मान्यता है कि श्रीकृष्ण भालुका तीर्थ पर विश्राम कर रहे थे। तभी शिकारी ने उनके पैर के तलुए में पद्मचिह्न को हिरण की आंख जानकर धोखे में तीर मारा था। तभी कृष्ण ने देह त्यागकर यहीं से वैकुंठ गमन किया। इस स्थान पर बड़ा ही सुन्दर कृष्ण मंदिर बना हुआ है। सोमनाथ से करीब दो सौ किलोमीटर दूरी पर प्रमुख तीर्थ श्रीकृष्ण की द्वारिका है। यहां भी प्रतिदिन द्वारिकाधीश के दर्शन के लिए देश-विदेश से हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। वैद्यनाथ मंदिर, देवघर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्‍योतिर्लिंग देवघर में वैद्यनाथ मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। यह बहुत प्राचीन मंदिर है। वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग स्थित होने के कारण इस स्‍थान को देवघर नाम मिला। यह ज्‍योतिर्लिंग एक सिद्धपीठ है। कहा जाता है कि यहां पर आने वालों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस कारण इस लिंग को 'कामना लिंग' भी कहा जाता है। काशी विश्वनाथ काशी विश्वनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। काशी विश्‍वनाथ मंदिर का हिंदू धर्म में विशिष्‍ट स्‍थान है। ऐसा माना जाता है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्‍नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आदि शंकराचार्य, संत एकनाथ, रामकृष्ण परमहंस, स्‍वामी विवेकानंद, स्‍वामी दयानंद, गोस्‍वामी तुलसीदास जैसे धर्म आचार्य और संतों का आगमन हुआ है। यहीं पर संत एकनाथजी ने वारकरी सम्प्रदाय का महान ग्रन्थ श्रीएकनाथी भागवत लिखकर पूरा किया था।

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